निर्देशक का संदेश
प्रो गणेशन कार्तिकेयन
कार्यकारी निदेशक

एक नई शुरुआत

मैं इस बात से पूरी तरह वाकिफ हूँ कि जब मुद्रित शब्दों की बात आती है तो हमारे ध्यान की अवधि कम होती जाती है, यह तब और भी ज़्यादा घट जाती है जब बात एक वेब पृष्ठ में दिए गए "संदेशों" की आती है! इसलिए, मैं इसे बहुत छोटा रखने जा रहा हूँ, बस इतना कि आपकी रुचि बढ़े और आप इस वेब पृष्ठ के कम से कम कुछ हिस्से पढ़ सकें। कृपया इसे पढ़ते समय यह ध्यान रखें कि इस वर्ष, हमने निर्णायक रूप से मौलिक लीड को चिकित्सकीय रूप से उपयोगी उत्पादों में बदलने पर ध्यान केंद्रित किया है। 

सबसे पहले जहां तक संभव हो, इसका श्रेय जिन्‍हें देना चाहूंगा, इन पृष्ठों में वर्णित ये अधिकांश कार्य मेरे प्रिय गुरु और मित्र प्रोफेसर प्रमोद गर्ग के नेतृत्व में किए गए थे। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और डीबीटी सचिव डॉ. राजेश गोखले का भी धन्यवाद, जिन्होंने अपना समय और सलाह देकर अविश्वसनीय रूप से सहयोग किया है।

हमारी मजबूती के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है वायरस जीव विज्ञान और दूसरा चिकित्सा विज्ञान है। इस महामारी के दौरान टीएचएसटीआई के योगदान के प्रमाण के रूप में, अब हम कोरोना वायरस की निगरानी, ट्रैकिंग और परीक्षण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) की कोविनेट संदर्भ प्रयोगशालाओं का हिस्सा बन गए हैं। डेंगू एनएस1 के मजबूत परीक्षण में मिली सफलता के आधार पर, हमारे वैज्ञानिकों ने अब चिकनगुनिया वायरस ई1/ई2 एंटीजन और जीका वायरस एनएस1 एंटीजन के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का एक बड़ा भंडार तैयार कर लिया है। ये उपकरण जीका और चिकनगुनिया के लिए एंटीजन पहचान परीक्षण विकसित करने में महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि वर्तमान में बाजार में ऐसे कोई परीक्षण उपलब्ध नहीं हैं। मैं दो रोमांचक विकासों पर प्रकाश डालना चाहूँगा, जिनका आने वाले वर्ष में वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है। सबसे पहले, हमारे वैज्ञानिकों ने एमपॉक्स के प्रति दो टीका प्रत्‍याशी विकसित किए हैं, जो उद्योग भागीदारों के सहयोग से पहले ही विकास के त्वरित चरण में प्रवेश कर चुके हैं। दूसरा, घातक निपाह वायरस के प्रति अत्यधिक विशिष्ट, दृढ़ता से बेअसर करने वाले मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भी विकास के त्वरित चरण में हैं। 
ट्रांसलेशन की क्षमता वाले अन्य प्रमुख कार्यों में गर्भावधि उम्र का सटीक अनुमान लगाने के लिए एआई-आधारित इमेजिंग टूल का विकास करना शामिल है। इसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह भारतीय माताओं पर आधारित पहला उपकरण है और यह गर्भावधि उम्र के अनुमान की मौजूदा पद्धति का स्थान ले सकता है, जो कि कोकेशियाई आबादी पर आधारित है। मानव माइक्रोबायोम पर काम कर रहे हमारे शोधकर्ताओं ने जीवित जैव-चिकित्सा विकसित की है, जो मोटापे और अन्य चयापचय रोगों के उपचार में आशाजनक है। हमने आनुवंशिक रूप से अभिलक्षित सूक्ष्मजीवों का एक भण्डार भी बनाया है, जो रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर अनुसंधान के लिए अत्यधिक मूल्यवान होगा।  

हमारे ट्रांसलेशन संबंधी प्रयासों का समर्थन करने के लिए नई मूलसंरचना को तेजी से तैयार किया जा रहा है। चिकित्सा अनुसंधान सुविधा (एमआरसी) लगभग तैयार है और अगले साल की शुरुआत में इसका उद्घाटन होने की संभावना है। इसमें कोशिका थेरेपी अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र, एक नैदानिक औषध विज्ञान इकाई और नियंत्रित मानव संक्रमण अध्ययन करने के लिए एक सुविधा होगी। मौजूदा प्रायोगिक पशु सुविधा को उन्नत इमेजिंग, हिस्टोपैथोलॉजी और प्रजनन क्षमताओं के साथ विश्व स्तरीय सुविधा में अपग्रेड किया गया है। टीएचएसटीआई ने वर्ष 2023-24 के दौरान, उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए स्कूल ऑफ इनोवेशन इन बायोडिजाइन (एसआईबी) का शुभारंभ किया, जिससे यह ऐसा प्रशिक्षण प्रदान करने वाला एकमात्र डीबीटी संस्थान बन गया। 
यदि हमारी उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं के इस संक्षिप्त परिचय से आपको इस रिपोर्ट को और गहराई से पढ़ने के लिए प्रेरणा मिली है, तो मैं अपने वैज्ञानिकों के कार्य के वृत्तांतकार के रूप में अपने कार्य को एक शानदार सफलता मानूंगा। 

प्रोफेसर गणेशन कार्तिकेयन
अधिशासी निदेशक